दोस्तों, आज हम बात करेंगे गोंदिया जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों और उसकी विशेषताओं के बारे में। गोंदिया जिला महाराष्ट्र राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह जिला भंडारा जिले से अलग कर बनाया गया था। गोंदिया जिला मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों की सीमा के करीब महाराष्ट्र के अंतिम क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके आस-पास भंडारा, चंद्रपुर और गढ़चिरौली जिले स्थित हैं।
गोंदिया की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक विशेषताएं
गोंदिया एक समृद्ध ऐतिहासिक विरासत वाला जिला है, लेकिन इसे एक अविकसित क्षेत्र भी माना जाता है। जिला का अधिकांश भाग घने वनों से आच्छादित है। यहाँ का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही सुहावना और हराभरा है। गोंदिया को महाराष्ट्र का ‘कोराइसिटी’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ चावल का उत्पादन बहुत अधिक होता है। जिले की मुख्य फसल चावल है, इसके अलावा ज्वार, बाजरा और धान भी यहाँ उगाए जाते हैं।
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गोंदिया जिले की सांस्कृतिक और जनजातीय विरासत
गोंदिया जिले में गोंड समुदाय के लोग पुराने निवासी हैं। यह क्षेत्र उनकी सांस्कृतिक विरासत का केंद्र भी माना जाता है। गोंदिया जिले में कुल आठ तहसीलें (चालू) हैं। जिले का क्षेत्रफल लगभग 4840 वर्ग किलोमीटर है।
प्रमुख प्राकृतिक और वन्यजीव स्थल
गोंदिया जिले में कई प्राकृतिक और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य स्थित है। यह अभयारण्य कई दुर्लभ वन्यजीवों का घर है। यहाँ 166 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बाघ, सांभर, बंदर, चीता, नीलगाय, भालू, लोमड़ी, भेड़िया जैसे कई जानवर यहाँ देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यहाँ लगभग 36 प्रकार के सांप भी पाए जाते हैं।
मानसून के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य
गोंदिया में मानसून का मौसम विशेष रूप से सुंदर होता है। इस मौसम में हल्की बारिश के साथ कई तालुके हरे-भरे जंगलों और नदियों से भर जाते हैं। हजारों झरने यहाँ का एक प्रमुख आकर्षण होते हैं, जो पर्यटकों को यहाँ आने के लिए प्रेरित करते हैं। प्राकृतिक जंगलों और पहाड़ों के बीच ट्रेकिंग करना यहाँ का एक लोकप्रिय पर्यटन गतिविधि है।
धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल
गोंदिया जिले में कई प्रसिद्ध मंदिर और गुफाएं हैं। सूर्य देव और मंजू देवी का मंदिर यहाँ की पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। इस मंदिर के पास एक गुफा भी है, जिसमें हनुमान और अन्नपूर्णा माता के मंदिर भी स्थित हैं। यह मंदिर पत्थरों से निर्मित है और पहाड़ी की सुंदरता में चार चांद लगाता है।
कचारगढ़ गुफा और आदिवासी मेला
कचारगढ़ गुफा को गोंड समाज का उद्गम स्थान माना जाता है। यह एशिया की सबसे बड़ी गुफाओं में से एक है। यहाँ हर साल आदिवासी लोगों का बड़ा मेला और सम्मेलन आयोजित होता है। गुफा का द्वार लगभग 25 मीटर ऊंचा है, जो इसकी विशालता को दर्शाता है। यह गुफा और आसपास का क्षेत्र गोंड समाज के लिए सांस्कृतिक महत्व रखता है।
इट आई डोंट बांध
गोंदिया जिले में गढ़वी नदी पर बना इट आई डोंट बांध भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह बांध गोदावरी नदी की घाटी में स्थित है और अर्जुनी गांव के पास बनाया गया है। यह बांध जिले के जल प्रबंधन और सिंचाई के लिए बेहद उपयोगी है।
नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान
गोंदिया जिले के दक्षिणी भाग में नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यह उद्यान लगभग 13378 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ कई प्रकार के पौधे, पक्षी, सांप और जानवर पाए जाते हैं। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव देखने वालों के लिए आदर्श है।
निष्कर्ष:
गोंदिया जिला महाराष्ट्र के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत का अनोखा संगम है। यहाँ के घने जंगल, पहाड़, झरने, और वन्यजीव अभयारण्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। साथ ही, धार्मिक स्थल और गोंड समाज की सांस्कृतिक धरोहर गोंदिया को एक विशेष पहचान देती है। अगर आप प्रकृति और इतिहास के बीच एक यादगार यात्रा करना चाहते हैं, तो गोंदिया आपका अगला गंतव्य हो सकता है।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।






