Balaghat News: प्रधानमंत्री आवास योजना में शर्मनाक फर्जीवाड़ा, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक का फर्जीवाडा उजागर, देखिए कैसे लूटा गया

Balaghat News: प्रधानमंत्री आवास योजना में शर्मनाक फर्जीवाड़ा, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक का फर्जीवाडा उजागर, देखिए कैसे लूटा गया

प्रधानमंत्री आवास योजना में शर्मनाक फर्जीवाड़ा

जनपद क्षेत्र बिरसा अंतर्गत ग्राम पंचायत गोवारी में प्रधानमंत्री आवास योजना में गंभीर अनियमितताओं और फर्जीवाड़ियों की शिकायत को लेकर पीड़ितों ने जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे हरिराम धुर्वे और पार्वतीबाई मेरावी ने कलेक्टर के समक्ष खुलासा किया कि ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक की मिलीभगत से इस योजना का लाभ वास्तविक पात्र आदिवासी हितग्राहियों को न देकर अपात्रों और स्वयं के परिजनों को दिया गया।

Balaghat News: प्रधानमंत्री आवास योजना में शर्मनाक फर्जीवाड़ा, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक का फर्जीवाडा उजागर,  देखिए कैसे लूटा गया

पात्र हितग्राही का मकान बना किसी और के नाम

हरिराम धुर्वे ने बताया कि वह वर्ष 2011 के एसईसीसी डाटा में पात्र हितग्राही के रूप में दर्ज हैं, लेकिन ग्राम पंचायत गोवारी के रोजगार सहायक शिवराम चिरसागर ने योजना के अंतर्गत स्वीकृत आवास को धोखाधड़ी से अपने बड़े पिता पदूलाल चिरसागर के नाम पर स्थानांतरित कर निर्माण कार्य पूर्ण करवा लिया।

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हरिराम ने बताया कि जब उन्होंने ऑनलाइन सूची चेक की, तो उसमें उनका नाम और “मकान पूर्ण” बताया गया, लेकिन वास्तव में मकान न तो उन्हें मिला और न ही निर्माण कार्य उनके नाम से हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि आवंटित राशि को रोजगार सहायक ने अपने रिश्तेदार के खाते में स्थानांतरित कर दिया।

मृतक के नाम पर भी हुआ मकान का आवंटन

वहीं, ग्रामीण महिला पार्वतीबाई मेरावी ने बताया कि उनके पति जहरू सिंह मेरावी की मृत्यु वर्ष 2017 में हो चुकी थी, जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी पंचायत सचिव ने 4 मई 2017 को जारी किया था। इसके बावजूद वर्ष 2021-22 में मृतक जहरू के नाम से आवास योजना की स्वीकृति दिखाकर रोजगार सहायक ने अपने पिता श्यामलाल चिरसागर के नाम पर मकान का निर्माण करवा लिया।

पीड़ितों की प्रशासन से मांग

पीड़ितों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाए, ताकि आदिवासी हितग्राहियों को उनका हक मिल सके और ऐसी अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।

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