मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित सबसे घने जंगलों में से एक, लौंगूर का जंगल अब विकास की नई कहानी लिख रहा है। यह इलाका वर्षों तक न केवल आम नागरिकों से अछूता रहा बल्कि यहां के स्थानीय निवासियों के लिए भी बुनियादी सुविधाएं एक सपना बनी रहीं। कभी नक्सल गतिविधियों का गढ़ रहे इस क्षेत्र में अब शांति और विकास दोनों का प्रवेश हो चुका है।
11.70 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे हैं हाई लेवल ब्रिज
मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा इस क्षेत्र में 11 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से पांच हाई लेवल ब्रिज निर्माण की योजना शुरू की गई थी। इनमें से चार ब्रिज अब पूर्ण रूप से तैयार हो चुके हैं, जबकि एक अंतिम चरण में है। इन पुलों का निर्माण कार्य कई चुनौतियों के साथ शुरू हुआ, क्योंकि इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण कंपनी नक्सलवाद के डर से काम करने को तैयार नहीं थी।
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17.42 KM लंबी सड़क निर्माण की भी तैयारी पूरी
इस परियोजना के अंतर्गत खुरसुट से होकर पोलबत्तूर और खारा तक की 17.42 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण भी किया जाना है, जिसकी लागत लगभग 12.25 करोड़ रुपये है। यह सड़क चिकलाचड़ी मार्ग से इस क्षेत्र को जोड़ेगी, जिससे ट्रांसपोर्ट और आवागमन में अभूतपूर्व सुधार होगा।
सात वन ग्रामों को मिलेगा सीधा लाभ
इन विकास कार्यों का सबसे बड़ा लाभ इस क्षेत्र के सात प्रमुख वन ग्रामों—खारा, पोलत्तूर, कोकमा, तल्लाबोड़ी, लौकुर, वरुरगोटा और सल्फार—को मिलेगा। बारिश के दौरान यहां की प्रमुख नदी उत्काल, जो जल का मुख्य स्रोत है, परिवहन की बाधा बन जाती थी। अब हाई लेवल ब्रिजों के निर्माण से बारिश में भी इन गांवों के लोगों को निर्बाध आवागमन की सुविधा मिलेगी।
प्रशासन और योजना के सहयोग से संभव हुआ विकास
महाप्रबंधक माया परते ने जानकारी दी कि निर्माण कार्य को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने कई बार टेंडर जारी किए और कंपनियों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। कलेक्टर मणाल मीना ने भी बताया कि यह क्षेत्र कभी नक्सल प्रभाव वाला रहा है और यहां बुनियादी ढांचे का विकास अत्यंत आवश्यक था। आरसीपीएलडब्ल्यूई योजना और पीएम जनमन योजना के तहत इस क्षेत्र में हो रहा यह कार्य जिले के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
प्र. – इन ब्रिजों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इन हाई लेवल ब्रिजों का उद्देश्य सात वनग्रामों को बारिश के समय भी स्थायी कनेक्टिविटी प्रदान करना और क्षेत्र के विकास को गति देना है।
प्र. – कौन-से गांव इस परियोजना से सीधे लाभान्वित होंगे?
उत्तर: खारा, पोलत्तूर, कोकमा, तल्लाबोड़ी, लौकुर, वरुरगोटा और सल्फार वन ग्राम इस परियोजना से सीधे जुड़े हैं।
प्र. – यह कार्य किस योजना के अंतर्गत किया जा रहा है?
उत्तर: यह कार्य मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा आरसीपीएलडब्ल्यूई योजना और पीएम जनमन योजना के तहत किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
बालाघाट जिले के इन पिछड़े और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह के ठोस इंफ्रास्ट्रक्चर विकास न केवल जनजीवन को सुविधाजनक बनाएंगे, बल्कि विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य भी करेंगे। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र की काया पलट निश्चित रूप से देखने को मिलेगी।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।






