Balaghat News: मन की बात में बालाघाट की सुमा उईके को प्रधानमंत्री मोदी ने किया सलाम, कहा- ये हैं भारत की असली ताकत

मन की बात में बालाघाट की सुमा उईके को प्रधानमंत्री मोदी ने किया सलाम, कहा- “ये हैं भारत की असली ताकत”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 123वें संस्करण में बालाघाट जिले की एक और प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया। इस बार प्रधानमंत्री ने बालाघाट जिले के कटंगी विकासखंड के छोटे से गांव भजियापार की रहने वाली सुमा उईके की प्रेरणादायक कहानी साझा की। यह बालाघाट के लिए गर्व का चौथा अवसर है जब किसी स्थानीय प्रतिभा को मन की बात में स्थान मिला है।

परंपराओं से निकल कर आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं सुमा दीदी

आदिवासी बाहुल्य ग्राम भजियापार में रहने वाली सुमा उईके पारंपरिक जीवनशैली में रमी हुई थीं और अधिक पढ़ी-लिखी भी नहीं थीं। घर की जिम्मेदारियों में व्यस्त रहने के कारण वह समाज से अधिक जुड़ नहीं पाई थीं। लेकिन जब आजीविका मिशन के कर्मियों ने गांव में स्वसहायता समूह की जानकारी दी, तो सुमा ने गांव की महिलाओं को संगठित कर “आदिवासी आजीविका विकास स्वसहायता समूह” बनाया और उसकी अध्यक्ष बनीं।

read also: बालाघाट में पहली बार भव्य श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन, 1 जुलाई से ध्वज वाहन रैली और 11 जुलाई को शोभा यात्रा

थर्मल थेरेपी से मिली नई राह

आत्मनिर्भर बनने की इच्छा ने सुमा को थर्मल थेरेपी की ओर प्रेरित किया। आजीविका मिशन से जुड़ाव के कारण उन्हें मुद्रा लोन की जानकारी मिली और बैंक से ₹6 लाख का ऋण प्राप्त हुआ। इसके बाद उन्होंने थर्मल थेरेपी का प्रशिक्षण लेकर कटंगी में “आजीविका थर्मल थेरेपी सेंटर” की स्थापना की, जिससे उन्हें हर महीने ₹11,000 की आमदनी होने लगी। यही नहीं, उन्होंने एक बेरोजगार युवती को भी रोजगार दिया।

मन की बात में बालाघाट की सुमा उईके को प्रधानमंत्री मोदी ने किया सलाम, कहा- ये हैं भारत की असली ताकत

प्रधानमंत्री मोदी ने सराहा जज़्बा

प्रधानमंत्री ने सुमा के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सुमा उईके जैसी महिलाएं समाज में बदलाव लाने वाली सच्ची प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने न केवल खुद को सशक्त किया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई।

महिलाओं से किया आह्वान

सुमा दीदी अब जनपद पंचायत परिसर में “आजीविका दीदी कैंटीन” भी संचालित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वह सभी महिलाओं से निवेदन करती हैं कि वे भी आगे बढ़ें, आत्मनिर्भर बनें और अपने सपनों को साकार करें।

दोस्तो, सुमा उईके की कहानी यह साबित करती है कि अगर इच्छाशक्ति और मेहनत हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी कहानी न सिर्फ बालाघाट बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment