मध्यप्रदेश भाजपा ने हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करके यह साफ कर दिया है कि पार्टी अब पूरी तैयारी के साथ विधानसभा चुनाव 2028 और लोकसभा चुनाव 2029 की जमीन तैयार करने में जुट गई है। उनका चुनाव सिर्फ चेहरा बदलने की कवायद नहीं, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
संगठन और सत्ता के संतुलन का चेहरा हैं खंडेलवाल
हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने के पीछे भाजपा की सोच साफ है पार्टी को ऐसा चेहरा चाहिए था जो न तो पूरी तरह सरकार का प्रतिनिधि हो, और न ही संगठन से कटा हुआ। हेमंत खंडेलवाल संगठन और सत्ता के बीच एक मजबूत सेतु की तरह सामने आए हैं। उनका व्यवहार, कार्यकर्ताओं और नेतृत्व दोनों से सहज और संतुलित रहा है।

मोहन मंत्रिमंडल से ही लिखी जा रही थी पटकथा
खंडेलवाल की अध्यक्षता की स्क्रिप्ट मोहन यादव के मंत्रिमंडल गठन से ही लिखी जाने लगी थी। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों में बेतूल की पांचों सीटें भाजपा की झोली में आई थीं, तब से हेमंत खंडेलवाल को मंत्री बनाए जाने की मांग उठने लगी थी। हालांकि, संगठन ने तब से ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारी का संकेत दे दिया था।
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संघ की गहरी भूमिका और सुरेश सोनी का समर्थन
सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष पद की प्रक्रिया शुरू होते ही संघ के एक प्रभावशाली तबके ने खंडेलवाल का नाम आगे बढ़ाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य सुरेश सोनी ने उनके नाम को विशेष प्राथमिकता दी। इसके बाद अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समर्थन से यह नाम अंतिम रूप से तय हुआ।
निर्विरोध निर्वाचन और संगठन का संदेश
हेमंत खंडेलवाल का निर्विरोध चुना जाना इस बात का संकेत है कि भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत और एकमत है। यह अनुशासन और विचारधारा आधारित नेतृत्व की विशेषता है जो कांग्रेस जैसी पार्टियों में नहीं दिखती। भाजपा कार्यकर्ताओं में यह निर्णय लेकर उत्साह और विश्वास की लहर दौड़ गई है।
कार्यकर्ताओं से लेकर संघ तक का भरोसा
हेमंत खंडेलवाल संघ की विचारधारा से गहरे जुड़े हुए हैं। वे एक अनुशासित और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध नेता माने जाते हैं। यही वजह है कि पार्टी को भरोसा है कि वे जमीन पर संगठन को मजबूत करेंगे, संघ के एजेंडे को संतुलित रूप से आगे बढ़ाएंगे और सरकार के साथ तालमेल बनाए रखेंगे।
चुनावी रणनीति का हिस्सा है खंडेलवाल की ताजपोशी
भाजपा के इस निर्णय को सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव 2028 की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति से भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह अब बूथ स्तर तक संगठन को मज़बूत करके मध्यप्रदेश में फिर से बहुमत की वापसी चाहती है।
पुराने नेतृत्व की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
पूर्व अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने जिस निष्ठा और संगठनात्मक कौशल से पार्टी को आगे बढ़ाया, अब वही जिम्मेदारी हेमंत खंडेलवाल के कंधों पर है। मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता सभी को उम्मीद है कि हेमंत इस जिम्मेदारी को और ऊंचाई देंगे।
निष्कर्ष
हेमंत खंडेलवाल की ताजपोशी भाजपा के संगठनिक संतुलन, सत्ता-संवाद और रणनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है। पार्टी के लिए यह सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए मजबूत संगठनात्मक नींव रखने का निर्णायक कदम है। भाजपा अब हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में नई ऊर्जा, नए लक्ष्य और बूथ स्तर तक की मजबूत पहुंच के साथ मैदान में उतर चुकी है।
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