Balaghat News: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सांसद ने छोटे शिशुओं के पोषण और प्रारंभिक शिक्षा से जुड़े आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति को लेकर बेहद गंभीर विषय सदन के पटल पर रखा। सांसद ने बताया कि निजी प्ले स्कूलों के बढ़ते चलन के बीच 3 से 6 वर्ष के बच्चों की आंगनवाड़ी केंद्रों में उपस्थिति लगातार घट रही है, जबकि पहले यह केंद्र शिशुओं को पोषण और प्रथम विद्यालय जैसी महत्वपूर्ण नि:शुल्क सेवाएं प्रदान करते थे। सांसद ने महिला एवं बाल विकास मंत्री से आग्रह किया कि आंगनवाड़ी केंद्रों की गुणवत्ता में व्यापक सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
आंगनवाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए सांसद की मुख्य मांगें
सांसद ने सुझाव दिया कि विद्यालय में प्रवेश की न्यूनतम आयु 6 वर्ष की जाए ताकि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ सके। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि आंगनवाड़ी पूर्ण करने वाले बच्चों को ‘आंगनवाड़ी पासआउट प्रमाण पत्र’ दिया जाए, जिससे उन्हें सरकारी और निजी स्कूलों में सीधे प्रवेश की सुविधा मिल सके। सांसद ने यह भी कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 6 वर्ष तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए पेशेवर शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित किया जाए। इसके साथ ही 3 वर्ष की आयु से बच्चों के लिए संरचित पाठ्यक्रम और वार्षिक प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य की जाए।
उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी केंद्रों में पर्याप्त स्टोरेज, मोबाइल रजिस्टर, ग्रोथ चार्ट और शैक्षणिक खिलौने उपलब्ध कराए जाएं। सभी केंद्र विभागीय भवनों में संचालित हों ताकि पोषण ट्रैकर जैसी डिजिटल सुविधाओं के माध्यम से पेपरलेस प्रणाली को बढ़ावा मिल सके। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मचारी का दर्जा, अलग मानदेय और स्पष्ट पदोन्नति नियम लागू किए जाएं। साथ ही हर केंद्र में डिजिटल वेट मशीन स्थापित कर बच्चों का वजन और पोषण संबंधी डेटा सुरक्षित रखा जाए।
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