कटंगी क्षेत्र के अगरवाडा गांव से एक अनोखी बारात निकली, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा। ढपली की गूंज, बांसुरी की मधुर धुन और पारंपरिक अंदाज में सजी बारात खड़कपुर गांव की ओर रवाना हुई, जो लगभग 10 किलोमीटर दूर है। इस खास शादी में दूल्हा नीलेश ठाकरे खाचर पर सवार था, जबकि बाराती बैलगाड़ियों में और कुछ पैदल चलते हुए बारात में शामिल हुए।
दूल्हे की इच्छा: यादगार बनानी थी शादी
दूल्हे नीलेश ठाकरे का कहना है कि वह अपनी शादी को यादगार बनाना चाहता था। आधुनिक दौर में जब सब कुछ डिजिटल और तेज़ हो गया है, तब उसने 90 के दशक की पारंपरिक शादियों को फिर से जीवंत करने का फैसला लिया। नीलेश बताते हैं कि उन्होंने बचपन में पुरानी शादियों में खाचर, बैलगाड़ी और रीति-रिवाजों को देखा था, और अब वह खुद भी वही अनुभव करना चाहते थे।
पिता की सोच: विरासत को संजोने का प्रयास
दूल्हे के पिता रोशनलाल ठाकरे का मानना है कि इस तरह की पारंपरिक शादी न केवल आनंददायक होती है, बल्कि इससे सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को भी बचाया जा सकता है। उनका कहना है कि इससे फिजूलखर्ची पर भी लगाम लगती है और शादी में असली भारतीय रीति-रिवाजों का अनुसरण किया जा सकता है।
अनोखी बारात: काठी वाले घोड़े का नृत्य बना आकर्षण का केंद्र
इस शादी की सबसे बड़ी खासियत काठी वाला घोड़ा था। कलगीदार साफा, रंग-बिरंगे लट, काला चश्मा और पैरों में बंधे घुंघरू के साथ जब यह कलाकार घोड़े पर सवार होकर नाचा, तो केवल बाराती ही नहीं, बल्कि रास्ते में खड़े ग्रामीण भी थिरकने लगे। यह दृश्य सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है और लोग इस शादी की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
इस अनोखी शादी ने यह साबित कर दिया कि परंपराएं कभी पुरानी नहीं होतीं, बस उन्हें नए अंदाज में प्रस्तुत करना होता है।
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