मध्य प्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में ग्वालियर में एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसमें पार्टी के दिग्गज नेता जीतू पटवारी, उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह जैसे चेहरे एक साथ मंच पर नज़र आए। यह प्रदर्शन करीब 6 घंटे तक चला, जिसमें सभी नेता ज़मीन पर बैठकर उपवास करते दिखे। इस आयोजन को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस अब मध्य प्रदेश में अपने रिवाइवल की ठोस शुरुआत कर चुकी है?
राहुल गांधी के भोपाल दौरे के बाद दिखा कांग्रेस में नया जोश
हाल ही में राहुल गांधी ने भोपाल का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक कर संगठन के पुनर्गठन और अनुशासन को लेकर दो टूक बातें रखीं। राहुल गांधी ने कहा कि वे सिर्फ उन्हीं नेताओं को आगे लाना चाहते हैं, जो जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं। उन्होंने कुछ निष्क्रिय नेताओं की तुलना “लंगड़े घोड़े” से करते हुए उन्हें बैकग्राउंड में बैठने की सलाह दी थी।

संगठन में बदलाव की तैयारी और गुटबाज़ी पर लगाम
राहुल गांधी के निर्देशों के बाद अब प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर जिले में नए ज़िला अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। इन पदों पर ऐसे युवा नेता नियुक्त किए जाएंगे जो मूल रूप से संगठनात्मक और जमीनी कार्य में निपुण हों। इसके अलावा, राहुल गांधी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में गुटबाज़ी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंबेडकर मूर्ति विवाद में कांग्रेस की एकजुटता
ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना के मुद्दे पर कांग्रेस ने व्यापक प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के तमाम दिग्गज एक मंच पर दिखाई दिए, जिससे यह संकेत मिला कि पार्टी अपने अंदरूनी मतभेदों को भुलाकर अब एकजुटता की ओर बढ़ रही है। यह आयोजन न केवल राजनीतिक विरोध का प्रतीक था, बल्कि कार्यकर्ताओं को एकजुटता का सीधा संदेश भी था।
क्या 2028 की तैयारी शुरू हो चुकी है?
कांग्रेस के इस कदम को आगामी 2028 के विधानसभा चुनावों की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में भारी नुकसान उठाने के बाद कांग्रेस अब संगठन को पुनर्गठित करने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुटी है। पार्टी का फोकस अब उस राजनीतिक आधार को दोबारा खड़ा करना है, जो हाल के वर्षों में बीजेपी में सेंधमारी के कारण कमजोर हुआ है।
निष्कर्ष:
फिलहाल यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में एक नई रणनीति के साथ सक्रिय हो गई है। ग्वालियर का प्रदर्शन कांग्रेस की संगठनात्मक एकजुटता और कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस इस एकजुटता को बनाए रखते हुए ज़मीनी लड़ाई में उतर पाती है या नहीं।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।







