बालाघाट जिले में केंद्रीय सुरक्षा बलों और हॉकफोर्स ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। मिशन 2026 के तहत की गई इस विशेष कार्रवाई में चार नक्सलियों को मार गिराया गया है। यह अभियान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मिशन 2026 को लेकर CRPF की तैयारी
इस मौके पर डीआईजी CRPF नीतू भट्टाचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) देश की आंतरिक सुरक्षा की सबसे बड़ी और एशिया की सबसे विशाल पैरामिलिट्री फोर्स है। उन्होंने कहा कि मिशन 2026 की दिशा में हम अपनी सिस्टर ऑर्गनाइजेशंस के साथ मिलकर प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं और हमें पूर्ण विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को समय पर हासिल करेंगे।

जवानों की ड्यूटी और चुनौतियां
डीआईजी भट्टाचार्य ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों जैसे जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीआरपीएफ अलग-अलग भूमिका निभा रही है। जवानों को उनकी तैनाती वाले क्षेत्रों की संस्कृति, सामाजिक परिस्थिति और समस्याओं को समझने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। वे अपने परिवार से दूर रहकर कठिन भौगोलिक और मानसिक परिस्थितियों में कार्य करते हैं, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी मांग करता है।
महिला सशक्तिकरण में CRPF की भूमिका
सीआरपीएफ को यह गर्व है कि 1986 में उसने विश्व की पहली महिला बटालियन की स्थापना की थी। आज भी सीआरपीएफ की महिला अधिकारी और जवान देश और विदेशों में अलग-अलग मोर्चों पर तैनात होकर उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। डीआईजी नीतू भट्टाचार्य ने कहा कि यह केवल महिला सशक्तिकरण नहीं, बल्कि देश सेवा का एक समर्पित जीवन है।
बालाघाट को नक्सलमुक्त बनाने का संकल्प
मिशन 2026 के तहत बालाघाट को नक्सलमुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। डीआईजी भट्टाचार्य ने कहा कि यह हमारा संकल्प और अपने आप से वादा है, जिसे हम राज्य पुलिस बल और स्थानीय जनता के सहयोग से पूरा करेंगे। उन्होंने यह विश्वास जताया कि बालाघाट की जागरूक जनता इस मुहिम में सुरक्षा बलों के साथ मजबूती से खड़ी है।
सरेंडर की अपील
अंत में डीआईजी ने नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की पुनर्वास नीति का व्यापक प्रचार किया गया है। हम चाहते हैं कि जो भी लोग हिंसा छोड़कर शांति की राह पर आना चाहते हैं, वे जल्द से जल्द सरेंडर करें और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर विकास का हिस्सा बनें।
निष्कर्ष
CRPF और राज्य बलों की संयुक्त रणनीति, मजबूत नेतृत्व और स्थानीय जनता के सहयोग से बालाघाट को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में यह कार्रवाई एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। मार्च 2026 तक बालाघाट को पूर्णत: सुरक्षित और नक्सलमुक्त बनाने का संकल्प अब और भी मजबूत हो गया है।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।






