मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने स्थानांतरण नीति में संशोधन करते हुए नए आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के अनुसार, प्रशासकीय स्तर पर स्थानांतरण की प्रक्रिया 7 जून से लेकर 16 जून तक चलेगी और यह प्रक्रिया जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री की निगरानी में पूरी की जाएगी।
प्रभारी मंत्री और कलेक्टर को दिए गए विशेष अधिकार
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, इस बार जिला स्तर पर स्थानांतरण की जिम्मेदारी सीधे तौर पर प्रभारी मंत्री को सौंपी गई है। सभी जिलों के कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जिला पंचायत), संभागीय संयुक्त संचालक (लोक शिक्षण) और जिला शिक्षा अधिकारी को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है। कलेक्टर स्थानांतरण प्रस्तावों को अनुमोदित करेंगे और इसके बाद प्रभारी मंत्री अंतिम निर्णय लेंगे।
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स्थानांतरण आदेश केवल ऑनलाइन होंगे जारी
स्कूल शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि इस बार स्थानांतरण के सभी आदेश केवल ऑनलाइन एजुकेशन पोर्टल 3.0 के माध्यम से ही जारी किए जाएंगे। कोई भी आदेश ऑफलाइन माध्यम से मान्य नहीं होगा। यह कदम पारदर्शिता और प्रक्रिया की दक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
10 से कम नामांकन वाली शालाओं में नहीं होगा ट्रांसफर
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन शालाओं में छात्र संख्या 10 से कम है, वहां किसी भी शिक्षक का स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। इसका उद्देश्य सीमित संसाधनों वाली स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
14 जून तक भरना होगा प्रशासकीय प्रस्ताव
जो भी शिक्षक या कर्मचारी स्थानांतरण की प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें 14 जून तक अपना प्रशासकीय प्रस्ताव ऑनलाइन दर्ज कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद 16 जून तक संबंधित प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इस बार स्थानांतरण की समयसीमा को पहले 30 मई तक रखा गया था, फिर इसे 10 जून तक बढ़ाया गया, और अब इसे 16 जून तक अंतिम रूप दे दिया गया है।
यह संशोधित नीति खासतौर पर प्राथमिक स्तर के शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकती है, क्योंकि उन्हें जिले के भीतर ही स्थानांतरण का लाभ मिलेगा। जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री और कलेक्टर को इसमें निर्णायक भूमिका दी गई है।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थानांतरण नीति में किए गए इन संशोधनों का उद्देश्य प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और अधिक प्रभावशाली बनाना है। शिक्षक और कर्मचारी यदि निर्धारित समयसीमा के भीतर आवश्यक आवेदन प्रक्रिया पूरी करते हैं, तो वे इस नई नीति का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं।
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