Chhath Puja Significance: एकमात्र पर्व जहाँ अस्त होते सूरज को मिलता है प्रणाम, क्यों है इसकी इतनी बड़ी मान्यता?

Chhath Puja Significance: एकमात्र पर्व जहाँ अस्त होते सूरज को मिलता है प्रणाम, क्यों है इसकी इतनी बड़ी मान्यता?

Chhath Puja Significance: छठ पूजा हिंदू धर्म का ऐसा महान लोक आस्था का पर्व है, जिसकी आध्यात्मिकता और पवित्रता पूरे विश्व में अद्वितीय मानी जाती है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जहाँ न केवल उगते सूर्य की आराधना होती है, बल्कि डूबते सूर्य को भी प्रणाम किया जाता है। यह परंपरा जीवन के उस संदेश को दर्शाती है कि चाहे कितना ही अंधकार क्यों न हो, हर शाम के बाद एक नई सुबह अवश्य आती है।

छठ में भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा

बिहार, झारखंड और पूर्वी भारत में इस पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि छठी मैया सूर्यदेव की बहन हैं और उनकी प्रसन्नता के लिए भक्त सूर्य को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। छठ पूजा आज केवल बिहार तक सीमित नहीं, बल्कि जहां-जहां बिहार की संस्कृति पहुंची है, वहाँ यह पर्व पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है।

Chhath Puja Significance: एकमात्र पर्व जहाँ अस्त होते सूरज को मिलता है प्रणाम, क्यों है इसकी इतनी बड़ी मान्यता?

चार दिवसीय कठोर व्रत — शुद्ध आस्था का प्रतीक

छठ का व्रत अत्यंत कठिन और पवित्र माना जाता है। व्रतधारी महिलाएँ और पुरुष चार दिनों तक व्रत रखकर सूर्यदेव से परिवार की खुशहाली, संतान की लंबी आयु और समाज की समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। तीसरे दिन शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भोर में उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है। यह समय प्रकृति को प्रसन्न करने वाला माना गया है।

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पौराणिक मान्यता और ऐतिहासिक आरंभ

कहा जाता है कि इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। मान्यता है कि छठी मैया की कृपा से संतान, सेहत और परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसीलिए कहा जाता है— जिसका अस्त होता है, उसका उदय होना निश्चित है — यही छठ महिमा है।

घाटों पर आस्था का सागर

व्रतधारियों ने नगर के वेनगंगा नदी और मोती तालाब परिसर में पहुँचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। भक्ति, श्रद्धा और उत्साह का ऐसा दृश्य दिखाई दिया जिसमें पूरा वातावरण “छठी मैया के जयकारों” से गूंज उठा।

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