MPPSC 2025 Success Story: प्रतिभा और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती — यह साबित किया है मध्यप्रदेश की दो बेटियों ने, जिन्होंने अपनी लगन और समर्पण से मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है। इस लेख में आप जानेंगे इन दोनों बेटियों की प्रेरणादायक कहानी, उनकी मेहनत, पारिवारिक पृष्ठभूमि, और कैसे उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार किया।
ग्राम वारा की शीतल ठाकुर बनीं डिप्टी कलेक्टर
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी फाइनल परीक्षा परिणाम में वारासिवनी के ग्राम वारा की बेटी शीतल ठाकुर ने डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित होकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है। शीतल वर्तमान में घनसोर में सीईओ के पद पर पदस्थ हैं और अपनी लगन, मेहनत तथा परिवार के समर्थन से उन्होंने यह बड़ा मुकाम हासिल किया है। उनके पिता प्रकाश ठाकुर वारासनी उपज में आरक्षक के पद पर कार्यरत हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के सपनों को साकार करने के लिए हर संभव सहयोग किया।
परिणाम घोषित होने के बाद पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। विधायक विवेक विक्की पटेल स्वयं शीतल ठाकुर के निवास पहुंचे और उनके माता-पिता के साथ शीतल को शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान पूरे गांव ने गर्व के साथ अपनी बेटी की सफलता का जश्न मनाया।
किसान की बेटी सुरभि सुलाखे बनीं नायब तहसीलदार
इसी परीक्षा में खरंजी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम भंडारा की बेटी सुरभि सुलाखे ने भी नायब तहसीलदार के पद पर चयनित होकर अपनी सफलता की नई कहानी लिखी है। सुरभि एक साधारण किसान परिवार से हैं। उनके पिता श्यामलाल सुलाखे, जो खेती-किसानी से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, ने अपनी बेटी को शिक्षा दिलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
सुरभि ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर इस प्रतिष्ठित परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। उनके चयन की खबर मिलते ही पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। स्थानीय लोग और परिजन गर्व से गदगद हैं कि किसान की बेटी अब प्रशासनिक सेवा में जिले का नाम ऊंचा करेगी।
गांव में जश्न का माहौल
शीतल ठाकुर और सुरभि सुलाखे की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे बालाघाट जिले को गौरवान्वित कर दिया है। वारासनी और भंडारा क्षेत्र में लोगों ने मिठाइयां बांटकर इनकी सफलता का जश्न मनाया। यह सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।
इन दोनों बेटियों ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, समर्पण और सही दिशा में प्रयास करने से सफलता निश्चित है। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में लक्ष्य स्पष्ट हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश की इन दो बेटियों की सफलता ने यह दिखा दिया कि प्रतिभा गांवों की मिट्टी से भी जन्म लेती है। शीतल ठाकुर और सुरभि सुलाखे ने मेहनत और लगन से यह साबित किया कि सपनों को साकार करने के लिए जरूरी है सिर्फ विश्वास और निरंतर प्रयास। उनकी कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
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