Narmada Crocodile Conservation: मगरमच्छ — जिन्हें पुण्य सलीला मां नर्मदा का वाहन कहा जाता है — अब एक बार फिर नर्मदा की निर्मल लहरों में लौट आए हैं। नमस्कार, मेरा नाम है गौरव जगताप और आप देख रहे हैं एमपी तक। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खंडवा जिले में एक ऐतिहासिक और पर्यावरणीय पहल की है। उन्होंने मां नर्मदा नदी में कई मगरमच्छों को छोड़ा है ताकि प्रदेश में जलीय वन्यजीव संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन का संदेश दिया जा सके।
मगरमच्छों का पुनर्वास: नर्मदा को फिर मिली अपनी पहचान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि मां नर्मदा के वाहन मगरमच्छ को फिर से उनके प्राकृतिक आवास में बसाया जाए। उन्होंने कहा कि नर्मदा की धारा मगरमच्छों के निवास के लिए पूर्णतः उपयुक्त है। इससे न केवल मगरमच्छों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि प्रकृति का संतुलन और पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) भी मजबूत होगा।
सरकार ने विशेष ध्यान रखा है कि इन मगरमच्छों को उन क्षेत्रों में छोड़ा जाए जहां स्थानीय लोगों की सुरक्षा को कोई खतरा न हो। यह पहल न केवल वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह राज्य की समृद्ध जैव विविधता को पुनर्जीवित करने का प्रतीक भी है।

मध्य प्रदेश में वन्यजीव पुनर्स्थापन की नई मिसाल
सीएम मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि मध्य प्रदेश भगवान का आशीर्वाद प्राप्त प्रदेश है, जहां हर प्रकार के जीव-जंतु — जलीय, थलीय और नभचर — स्वतंत्र रूप से जीवन यापन करते हैं। उन्होंने गर्व से कहा कि जिस चीते का अस्तित्व पूरे एशिया से समाप्त हो गया था, वह भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से कूनो और गांधी सागर अभयारण्य में पुनर्स्थापित हो चुका है।
उन्होंने आगे बताया कि नौरादेही अभयारण्य भी जल्द एक और चीता पुनर्स्थापन केंद्र बनने जा रहा है, जहां अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीते छोड़े जाएंगे। इस तरह राज्य वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक के बाद एक मिसाल कायम कर रहा है।
#WATCH | Madhya Pradesh CM Mohan Yadav releases six crocodiles into the Narmada River at Narmadnagar in Khandwa district. (30.10) pic.twitter.com/pjiZdEaOaj
— ANI (@ANI) October 30, 2025
मां नर्मदा का वाहन
मुख्यमंत्री ने ओंकारेश्वर पहुंचकर कहा कि मां नर्मदा केवल एक नदी नहीं, बल्कि जीवनदायिनी शक्ति हैं। चंबल, सोन, पेज और बरगी जैसी नदियों में पहले से ही घड़ियाल और मगरमच्छ पाए जाते हैं, लेकिन अब नर्मदा की गोद में छोड़े गए छह अलग-अलग प्रजातियों के मगरमच्छ इस पवित्र धारा को फिर से जीवन से भर देंगे।
यह दृश्य न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि भावनात्मक रूप से भी अत्यंत प्रेरक रहा। मां नर्मदा की लहरों में तैरते मगरमच्छ हमें यह याद दिलाते हैं कि प्रकृति के हर जीव का अपना विशेष महत्व होता है, और संतुलन ही जीवन का असली आधार है।
ग्रामीणों से अपील
हालांकि यह पहल राज्य के लिए गौरव की बात है, लेकिन मुख्यमंत्री ने नर्मदा किनारे बसे ग्रामीणों से अपील की है कि वे सतर्क रहें। मगरमच्छों के लिए बनाए गए आवास क्षेत्रों में अनावश्यक गतिविधियों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
निष्कर्ष: Narmada Crocodile Conservation
मां नर्मदा की गोद में लौटे ये मगरमच्छ केवल एक पुनर्वास परियोजना नहीं हैं — ये प्रकृति के पुनर्जीवन की कहानी हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह पहल न केवल जलीय जीवन के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो जल्द ही नर्मदा की लहरों में तैरते मगरमच्छ प्रदेश की पर्यावरणीय स्मृति और संतुलन के जीवंत प्रतीक बन जाएंगे।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।







