जैसा कि आपने article के थंबनेल से समझ ही लिया होगा, आज की हमारी वीडियो एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी पर आधारित है जिसने संघर्ष से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आज हम बात करेंगे हर्ष पुष्पतोड़े की, जो कटंगी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं और अपने मेहनत से सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं।
संघर्ष से शुरू हुआ सफर
हर्ष ने पढ़ाई के दौरान कई आर्थिक चुनौतियों का सामना किया। उनका सपना बीटेक करने का था, लेकिन घर की कमजोर वित्तीय स्थिति ने उन्हें पॉलिटेक्निक करने पर मजबूर कर दिया। बालाघाट गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा पूरा करने के बाद, उन्होंने जबलपुर से बीटेक की पढ़ाई शुरू की।
रहने के लिए भी पैसे जुटाने के लिए उन्हें केटरिंग के काम और फोटोग्राफी जैसी छोटी-मोटी नौकरियों में हाथ आजमाना पड़ा। इन संघर्षों के बीच भी उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे सोशल मीडिया की दुनिया में कदम रखा।
कोरोना काल में मिला यूट्यूब का आईडिया
कोरोना महामारी के दौरान जब सब कुछ बंद था, तब हर्ष और उनके मित्र प्रभात ने यूट्यूब पर वीडियो बनाना शुरू किया। इंडियन हैकर के वीडियो देखकर उन्हें प्रेरणा मिली। उन्होंने अपने गांव से ही वीडियो बनाना शुरू किया, लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला।
कुछ समय बाद पढ़ाई शुरू हो गई और वीडियो बनाना भी बंद हो गया। लेकिन एक दिन ट्रेन यात्रा के दौरान बनाई गई एक वीडियो वायरल हो गई, जिसने उनके सोशल मीडिया करियर को एक नई दिशा दी।
यूट्यूब से इंस्टाग्राम तक का सफर
हर्ष ने पहले यूट्यूब पर अपना चैनल ‘हर्ष एक्सपेरिमेंट’ के नाम से शुरू किया, जो आज मोनेटाइज हो चुका है। बाद में उन्होंने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आज उनके यूट्यूब चैनल पर 1 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं और इंस्टाग्राम पर भी काफी फॉलोअर्स हैं।
उनकी प्रमुख आईडी ‘हर्ष पुष्पतोड़े’ नाम से सभी प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है और वह एक ही वीडियो तीनों प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करते हैं।

शुरुआती साधन और साधारण संसाधन
हर्ष ने अपने पहले वीडियो रेडमी नोट 9 मोबाइल से शूट किए थे। बाद में जैसे-जैसे सफलता मिलती गई, उन्होंने बेहतर उपकरण जैसे iPhone 16 Pro Max और iPhone 15+ का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
शुरुआत में उनके पास ना कैमरा था, ना प्रोफेशनल माइक्रोफोन, फिर भी उन्होंने साधारण साधनों के साथ बेहतरीन वीडियो बनाना सीखा।
आर्थिक स्थिति और परिवार का समर्थन
हर्ष बताते हैं कि उनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत मजबूत नहीं था। सालाना आमदनी करीब डेढ़ से दो लाख रुपये के बीच थी, जो खेती-किसानी से आती थी। पढ़ाई और रहने के खर्च के लिए उन्हें खुद छोटे-मोटे काम करने पड़े।
परिवार का उन्हें पूरा समर्थन मिला, जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रही। घर में उनके माता-पिता, बहन, दादा-दादी और चचेरे भाई रहते हैं।
संघर्ष के दिनों में मशीन और मेहनत का साथ
जब यूट्यूब से आमदनी नहीं हो रही थी, तब हर्ष ने एक रिपर मशीन खरीदी। इस मशीन से धान काटने का काम करते हुए वे रोजाना 600 रुपये प्रति घंटे कमाते थे। साथ ही, काम के दौरान पेश आने वाली चुनौतियों पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर करते थे।
इन्हीं वीडियो ने उन्हें वायरल किया और धीरे-धीरे इनकम भी बढ़ने लगी। आज भी वे उस रिपर मशीन को अपने संघर्ष की निशानी के रूप में संभालकर रखे हुए हैं।
आज की स्थिति और प्रेरणा
आज हर्ष के पास अपना आईफोन है, लाखों सब्सक्राइबर हैं और वह महीने में एक सरकारी नौकरी से भी अधिक कमाई कर लेते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर जुनून हो और सच्ची मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता।
हर्ष का कहना है कि अगर किसी के अंदर वीडियो बनाने का जुनून है तो उसे जरूर इस क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए। केवल पैसे के लिए या किसी को देखकर शुरुआत करना सही नहीं है।
निष्कर्ष
हर्ष पुष्पतोड़े की कहानी एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो संघर्ष के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। मेहनत, जुनून और धैर्य से कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान बना सकता है, जैसा कि हर्ष ने साबित कर दिखाया है।
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मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।






