महाराष्ट्र के बहुमूल्य आदिवासी क्षेत्र माने जाने वाले गोंदिया जिले की देवरी तहसील ने इतिहास रच दिया है। इस क्षेत्र के दो विद्यार्थियों ने NEET परीक्षा 2024 में शानदार सफलता हासिल की है और अब डॉक्टर बनने का सपना साकार करने जा रहे हैं। इनमें से एक छात्र यशराज राजेंद्र सोनवाने हैं, जिन्होंने NEET में 586 अंक हासिल किए हैं। उनकी ऑल इंडिया रैंक 2690 और SC कैटेगरी रैंक 64 है। इससे पहले इनका एक साथी छात्र भी अच्छा प्रदर्शन कर चुका है, जिससे देवरी तहसील का नाम गर्व से चमक उठा है।
संघर्ष और समर्पण से बना सफर
यशराज बताते हैं कि उन्होंने दो साल लगातार कड़ी मेहनत की। रोजाना सुबह 5:30 बजे उठकर पीटी और स्टडी शेड्यूल शुरू होता था। दिनभर की कोचिंग के अलावा वे 6 घंटे स्वअध्ययन करते थे। मोबाइल से दूरी बनाई और समय का पूरा उपयोग किया। पढ़ाई में निरंतरता और टेस्ट सीरीज़, शॉर्ट नोट्स जैसी रणनीतियों ने उन्हें सफलता दिलाई।
इसे भी पड़े : गोंदिया घूमने के लिए ये 4 बेहतरीन जगह जानिए, वन्य, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थल के बारे में सब कुछ
पढ़ाई की शुरुआत और नवोदय की भूमिका
यशराज की पारिवारिक स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर थी, फिर भी उनके पिता ने उन्हें एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाया। बाद में उन्होंने नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास की और नवगांव बांध (गोंदिया) स्थित नवोदय विद्यालय में 6वीं से 10वीं तक पढ़ाई की। नवोदय ने उन्हें अनुशासन, आत्मनिर्भरता और जीवन मूल्यों से परिचित कराया।
दक्षिणा फाउंडेशन से मिला जीवन बदलने वाला अवसर
10वीं में ही उन्होंने दक्षिणा फाउंडेशन की स्कॉलरशिप परीक्षा दी और पुणे स्थित संस्था में उनका चयन हुआ। यहां उन्हें NEET की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग, हॉस्टल और भोजन की सुविधा मिली। यशराज मानते हैं कि दक्षिणा फाउंडेशन की वजह से ही वे आज डॉक्टर बनने की राह पर हैं।
मां-बाप से दूर रहकर भी नहीं डगमगाया हौसला
पढ़ाई के दौरान यशराज वर्षों तक अपने माता-पिता से दूर रहे। उन्होंने नवोदय की हॉस्टल लाइफ में रहना सीखा, मेडिटेशन किया और मानसिक संतुलन बनाए रखा। वे बताते हैं कि उनकी बहन ने भी आर्थिक और मानसिक रूप से उन्हें बहुत सहयोग दिया।
डॉक्टर बनकर समाजसेवा का संकल्प
यशराज का सपना केवल डॉक्टर बनना नहीं, बल्कि समाज के जरूरतमंदों की सेवा करना है। वे कहते हैं कि वे देवरी जैसे पिछड़े आदिवासी क्षेत्र में वापस आकर इंटर्नशिप करना चाहते हैं और वहां निशुल्क मेडिकल कैंप लगाकर मरीजों की सेवा करना उनका लक्ष्य है।
देवरी की दोहरी सफलता, क्षेत्र का बढ़ा मान
देवरी तहसील से एक नहीं, बल्कि दो छात्रों ने NEET में सफलता पाई है। यह क्षेत्र, जो अब तक नक्सल प्रभावित और सुविधाओं की कमी से जूझता रहा है, वहां से निकले इन छात्रों की सफलता न केवल परिवार, बल्कि पूरे गोंदिया और महाराष्ट्र राज्य के लिए गौरव का विषय है। माता-पिता की तकलीफों, वर्षों की दूरी और कठिन संघर्ष के बाद जब बेटा डॉक्टर बनने जा रहा है, तो यह हर उस परिवार के लिए प्रेरणा है जो शिक्षा को अपना हथियार बनाना चाहता है।
मेरा नाम भूमेन्द्र बिसेन है। मैं TazaSanket.in का संस्थापक और एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूं। इस पोर्टल के जरिए मैं मध्य प्रदेश, खासकर बालाघाट की विश्वसनीय लोकल खबरें पहुंचाता हूं। डिजिटल पत्रकारिता में मुझे 4 वर्षों का अनुभव है और मेरा उद्देश्य समाज की सच्चाई को उजागर करना है।








