Balaghat News: बालाघाट में पर्यावरण की जीत, ग्रामीणों के आंदोलन से निजी कंपनी की लीज़ निरस्त, जंगल बचाने का संकल्प

Balaghat News: बालाघाट में पर्यावरण की जीत, ग्रामीणों के आंदोलन से निजी कंपनी की लीज़ निरस्त, जंगल बचाने का संकल्प

बालाघाट में पर्यावरण की जीत: देशभर में प्रकृति संरक्षण के लिए हुए आंदोलनों की तरह ही बालाघाट जिले के किरनापुर तहसील के सालेटेका पंचायत में भी ग्रामीणों ने बेमिसाल उदाहरण पेश किया। यहां उद्योग के नाम पर 33 हेक्टेयर भूमि निजी कंपनी श्री गुरुदेव राइस इंडस्ट्रीज, छत्तीसगढ़ को लीज़ पर दी गई थी। कंपनी ने उष्णा प्लांट लगाने की तैयारी शुरू कर दी और इस दौरान हजारों हरे-भरे पेड़ काट दिए गए। जब ग्रामीणों ने जंगल का विनाश देखा तो उन्होंने इसका जोरदार विरोध किया और आंदोलन की शुरुआत की।

बालाघाट में पर्यावरण की जीत: ग्रामीणों का दबाव और प्रशासन का निर्णय

ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया कि जब सरकार एक पेड़ मां के नाम लगाने की प्रेरणा देती है तो हजारों पेड़ों की कटाई क्यों? लगातार विरोध और आंदोलन के बाद 15 अगस्त को इस भूमि की एनओसी रद्द कर दी गई। इस निर्णय से ग्रामीणों ने स्वतंत्रता दिवस को हरियाली और पर्यावरण की रक्षा के जश्न में बदल दिया। गांव में जागरूकता रैली निकाली गई, तिरंगे के साथ पौधारोपण किया गया और जंगल को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया गया।

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नेताओं और आसपास के गांवों का समर्थन

इस आंदोलन में विधायक मधु भगत और एसडीएम किरनापुर भी पहुंचे। ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें ऐसे उद्योग की आवश्यकता नहीं जो प्रकृति का विनाश करें। आसपास के गांवों चिखला, दीगोधा और हट्टा से भी लोग पहुंचे और पौधारोपण अभियान में शामिल हुए। आंदोलन की गूंज सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए देश-विदेश तक पहुंची और प्रवासी ग्रामीणों ने भी इसे समर्थन दिया।

भविष्य के लिए संकल्प

ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वे जंगल बचाने की इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे। उनका मानना है कि यह भूमि उनके लिए केवल चारागाह या खेती की नहीं, बल्कि जीवन और पर्यावरण का आधार है। हजारों पेड़ों की बलि देने के बाद भी अब गांववाले हरियाली लौटाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। प्रशासन द्वारा एनओसी निरस्त किए जाने के बाद कंपनी ने अपना सामान समेट लिया, लेकिन ग्रामीणों का संघर्ष यहीं खत्म नहीं होगा। वे चाहते हैं कि यह भूमि स्थायी रूप से ग्राम पंचायत और गांव की आने वाली पीढ़ियों को सौंपी जाए ताकि जंगल का अस्तित्व हमेशा कायम रह सके।

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